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छ.ग. शासन गृह विभाग (पुलिस) विभाग के अधिसूचना क्रमांक-एफ-348/2010/गृह-2 दिनांक 06.08.2010 के तहत राज्य शासन द्वारा नक्सली समस्या पर कारगर नियंत्रण करने कानून एवं व्यवस्था अपराध एवं अपराधियों पर नियंत्रण तथा जनहित की दृष्टि से राजस्व जिला रायपुर के तहत नवीन पुलिस जिला के निर्माण की स्वीकृति पश्चात् पुलिस जिला गरियाबंद अस्तित्व में आया। तत्पश्चात राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ राजपत्र क्रमांक-332 रायपुर, मंगलवार, दिनांक 27.12.2011-पौष 6, शक 1933 के माध्यम से पुलिस जिला गरियाबंद को दिनांक 01.01.2012 से राजस्व जिला प्रभाव के रूप में सृजित किया गया।


पुलिस जिला गरियाबंद के प्रारंभ में कुल 05 पुलिस थाने क्रमशः मैनपुर, देवभोग, छुरा, गरियाबंद, फिंगेश्वर एवं बिन्द्रानवागढ़ में पुलिस चौकी संचालित थी। राजस्व जिला के रूप में अस्तित्व में आने के पश्चात् रायपुर जिला में स्थित थाना राजिम व 05 नवीन पुलिस थाना क्रमशः पीपरछेड़ी, पायलीखंड, शोभा, इंदागांव एवं अमलीपदर की राज्य शासन से स्वीकृति प्राप्त हुई। नवीन स्वीकृत थानों में से थाना शोभा दिनांक 03.08.2012, थाना इंदागांव दिनांक 20.03.2012, थाना पीपरछेड़ी दिनांक 29.03.2012, थाना पायलीखंड (जुगाड़) दिनांक 18.07.2012, थाना अमलीपदर दिनांक 18.07.2012 तथा थाना पाण्डुका दिनांक 19.10.2014 में प्रारंभ किया गया तथा दिनांक 06.12.2012 को दर्रीपारा तथा दिनांक 08.03.2015 को धवलपुर में पुलिस कैम्प की स्थापना की गई है। इस प्रकार जिला गरियाबंद में कुल 12 थाने, 01 चैकी, 02 पुलिस कैम्प व 02 एसडीओपी कार्यालय संचालित है।


जिले की भौगोलिक स्थितिः- जिला गरियाबंद के उत्तर में रायपुर एवं महासमुंद जिला, पश्चिम में धमतरी जिला, पूर्व में उड़ीसा राज्य के नुआपाड़ा जिला एवं दक्षिण में उड़ीसा राज्य के नवरंगपुर, कालाहांडी जिला लगा है । गरियाबंद जिला के अधिकांश भाग पहाड़ों एवं वनों से आच्छादित है। जहाँ गोड़, कमार, भुंजिया जनजाति बहुतायत में निवास करते है। इनके जीवकोपार्जन का मुख्य साधन कृषि के अतिरिक्त वनोपज है। इस जिला के थाना मैनपुर के पायलीखंड गांव में बहुमूल्य हीरा तथा देवभोग के सेंदमुड़ा गांव में अलेक्जेंड्राइज खनिज का भंडार है, इसके अतिरिक्त उदंती अभ्यारण्य भी इसी जिले में स्थित है । जहाँ मुख्य रूप से वनभैंसा एवं शेर का संरक्षण किया जाता है। सम्पूर्ण जिला के लोग शांति प्रिय है तथा पूरे जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति सामान्य है लेकिन विगत कुछ वर्षों से उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती गांवों मे माओवादियों की गतिविधियां परिलक्षित हो रहा है।